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उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू, Uniform Civil Code (UCC) Implemented in Uttarakhand

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू, देश में पहली बार ऐसा कदम

उत्तराखंड ने समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code – UCC) को लागू कर देश के पहले राज्य के रूप में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को इसका आधिकारिक ऐलान करते हुए UCC पोर्टल लॉन्च किया। इस फैसले को मुख्यमंत्री ने राज्य और देश के लिए “ऐतिहासिक दिन” करार दिया है।

यूसीसी: समानता और समरसता की ओर कदम
मुख्यमंत्री धामी ने कहा, “यह निर्णय किसी धर्म के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह सभी धर्मों की महिलाओं को समान अधिकार दिलाने और समाज में न्याय एवं समानता स्थापित करने के लिए लिया गया है।” उन्होंने यह भी बताया कि UCC के तहत हलाला प्रथा, बहुविवाह और बाल विवाह जैसी प्रथाओं पर रोक लगाई जाएगी।

उन्होंने आगे कहा कि यह कानून जाति, धर्म, और लिंग के आधार पर भेदभाव खत्म कर सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार और कर्तव्य सुनिश्चित करेगा।

विशेषज्ञ समिति की सिफारिशें
UCC लागू करने से पहले राज्य सरकार ने 2022 में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। समिति ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपते हुए विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और गोद लेने से जुड़े कानूनों में समानता लाने की सिफारिश की है।

क्या है UCC?
समान नागरिक संहिता का मतलब है कि राज्य के सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, संपत्ति और गोद लेने जैसे विषयों पर समान कानून लागू होंगे। यह कदम धार्मिक और सामाजिक आधार पर अलग-अलग कानूनों को खत्म कर समाज में एकरूपता लाने का प्रयास है।

जनता और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
UCC को लेकर जनता में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ लोग इसे समानता और समरसता की दिशा में सकारात्मक कदम मानते हैं, तो वहीं कुछ समूहों ने इसे लेकर चिंता जाहिर की है।

वहीं, सत्तारूढ़ भाजपा इसे अपनी बड़ी उपलब्धि के तौर पर पेश कर रही है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा, “यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘विकसित भारत’ के सपने को साकार करने के लिए उत्तराखंड द्वारा दी गई एक अहम आहुति है।”

आगे की राह
UCC के लागू होने से पहले सरकार व्यापक जन संवाद सुनिश्चित करेगी। यह पहल न केवल उत्तराखंड में, बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बनी हुई है। माना जा रहा है कि यह कदम अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल पेश करेगा।

निष्कर्ष
उत्तराखंड का यह कदम समाज में समानता और न्याय की स्थापना की दिशा में ऐतिहासिक पहल है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अन्य राज्य भी इस दिशा में आगे बढ़ते हैं या नहीं।

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