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India’s View on Israel-Iran War: Diplomatic Balance, Economic Impact & Humanitarian Concern भारत की नजर में इज़राइल-ईरान युद्ध: कूटनीतिक संतुलन, आर्थिक असर और मानवीय चिंता

इज़राइल और ईरान के बीच बढ़ता तनाव न सिर्फ पश्चिम एशिया के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए चिंता का विषय बन गया है। भारत, जो दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, इस युद्ध को बेहद गंभीरता से देख रहा है। यह संघर्ष सिर्फ सीमाओं की लड़ाई नहीं, बल्कि इसके दूरगामी आर्थिक, कूटनीतिक और मानवीय परिणाम हैं – विशेष रूप से भारत के लिए।

भारत की कूटनीतिक स्थिति | India’s Diplomatic Stand

भारत ने हमेशा गैर-पक्षपाती और संतुलित विदेश नीति का पालन किया है।
• इज़राइल के साथ भारत के रक्षा, कृषि और टेक्नोलॉजी क्षेत्र में मजबूत संबंध हैं।
• वहीं ईरान के साथ भारत के ऊर्जा, संस्कृति और रणनीतिक सहयोग पुराने और स्थायी हैं।

इसलिए भारत सरकार ने इस युद्ध को लेकर:
• दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है।
• किसी भी प्रकार की हिंसा और अस्थिरता से बचने का संदेश दिया है।
• साथ ही मानवता और शांति की रक्षा का समर्थन किया है।

भारत का यह संतुलित रुख उसकी वैश्विक स्थिति और हितों के लिए बेहद जरूरी है।

आर्थिक प्रभाव | Economic Impact on India

पश्चिम एशिया में किसी भी संघर्ष का सीधा असर भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है:
1. तेल की कीमतों में उछाल
• भारत अपनी जरूरत का लगभग 85% कच्चा तेल आयात करता है।
• ईरान और उसके रास्ते तेल आपूर्ति बाधित होने से तेल महंगा होगा और इससे महंगाई बढ़ेगी।
2. व्यापार और परिवहन में बाधा
• अरब सागर और फारस की खाड़ी के रास्ते भारत का व्यापार होता है।
• युद्ध से शिपिंग लागत बढ़ेगी और व्यापार प्रभावित होगा।
3. रुपया और बाजार में अस्थिरता
• निवेशकों में डर से रुपया कमजोर हो सकता है और शेयर बाजार में गिरावट आ सकती है।
4. प्रवासी भारतीयों पर खतरा
• लाखों भारतीय पश्चिम एशिया में काम करते हैं।
• युद्ध से उनकी सुरक्षा और रोजगार पर खतरा मंडरा सकता है।

भारत के रणनीतिक हित | Strategic Interests at Stake
• चाबहार पोर्ट परियोजना: ईरान में स्थित इस पोर्ट के ज़रिए भारत अफगानिस्तान और मध्य एशिया से जुड़ता है।
युद्ध से यह रणनीतिक प्रोजेक्ट रुक सकता है।
• इज़राइल के साथ रक्षा सहयोग: भारत, इज़राइल से हथियार और रक्षा तकनीक खरीदता है।
क्षेत्र में युद्ध से इन योजनाओं पर भी असर पड़ेगा।

मानवीय दृष्टिकोण | Humanitarian Viewpoint

सरकारें भले ही सैन्य रणनीति की बात करें, लेकिन असली कीमत आम लोग चुकाते हैं।
• बच्चों की शिक्षा रुक जाती है।
• अस्पतालों में इलाज नहीं मिल पाता।

• लोगों की ज़िंदगी में डर, दर्द और भूख बस जाती है।

भारत की परंपरा रही है – “वसुधैव कुटुंबकम्” (सारी दुनिया एक परिवार है)।
भारत ने हमेशा संकट के समय मानवीय सहायता, शरण और दवाइयां दी हैं – और आज भी भारत यही भावना रखता है।

भारत का रुख इस युद्ध पर साफ है:
संयम, संवाद और शांति।
भारत किसी का पक्ष नहीं ले रहा, बल्कि यह चाहता है कि इंसानियत को प्राथमिकता दी जाए।

भारत की यही भूमिका – शांतिदूत की – आने वाले समय में उसे वैश्विक नेतृत्व में और मजबूत बना सकती है। जब दुनिया युद्ध में उलझी हो, तो भारत जैसे देश का काम है उम्मीद की मशाल जलाए रखना।

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